बरगद,
तुमसे प्रेम करना सीखूंगा।
शाखाओं से कान लगा,
रूह में उतर कर जानूंगा,
कि टहनियों पर कुल्हाड़ियाँ चलने पर भी,
नयी टहनी तुमने कैसे अपार प्रेम से उगायीं?
बीतें सौ साल, किस तरह धरा संग बितायी?
प्रेममय हो कितने पंछियों को तुमने बसाया?
और जन्मते पत्तियों को मरते देख नहीं हारे?
बरगद, तुमसे प्रेम करना सीखूंगा!
तुमसे प्रेम करना सीखूंगा।
शाखाओं से कान लगा,
रूह में उतर कर जानूंगा,
कि टहनियों पर कुल्हाड़ियाँ चलने पर भी,
नयी टहनी तुमने कैसे अपार प्रेम से उगायीं?
बीतें सौ साल, किस तरह धरा संग बितायी?
प्रेममय हो कितने पंछियों को तुमने बसाया?
और जन्मते पत्तियों को मरते देख नहीं हारे?
बरगद, तुमसे प्रेम करना सीखूंगा!
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