विज्ञान में हम क्रिटिकल मास के निर्माण की बात करते हैं। सामाजिक बदलाव की प्रक्रिया के दौरान इसी तरह की चीज़ें होती हैं। क्लास के दौरान एक शाम को ज़ोर से चिल्लाने और जोश में आने की बात देखी गयी। क्लास का एक वयस्क मुसहर खड़ा हुआ, उसने अपनी पेंसिल और स्लेट को ज़मीन पर फेंका और चिल्लाया: "मैं बुड़बक नहीं हूँ।" पहला वाक्य ऐसे व्यक्ति से आया जिसने अपना नाम लिखना सीख लिया था और इस प्रकार मानसिक गुलामी से छुटकारे के साथ समाज में आदर के साथ रहना सीख रहा था।
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